धम्मपद Episode 2 Slok 2 : धम्मपद का दूसरा श्लोक: अच्छे मन से सुख की प्राप्ति | Dhammapada Episode 2 Explained in Hindi
🧘♂️ धम्मपद श्लोक 2 — ✨ मूल पाली भाषा में: > "मनोपुब्बङ्गमा धम्मा, मनोसेṭṭhā मनोमया। मनसा चे पसन्नेन, भासति वा करोति वा। ततो नं सुखमन्वेति, छायाव अनपायिनी॥" 🌼 सरल हिंदी में अर्थ: "मन ही सभी कर्मों का प्रधान है। अगर कोई व्यक्ति शुद्ध, शांत और प्रसन्न मन से कुछ बोलता या करता है, तो सुख उसका साथ देता है, जैसे छाया हमेशा व्यक्ति के साथ चलती है।" 🌟 5 आसान उदाहरण से समझते है : ✅ उदाहरण 1: माता की ममता 👩👧 एक मां अपने बच्चे को हर समय प्यार और धैर्य से संभालती है। बच्चा अगर शरारत करे, तो भी वह चिल्लाने की बजाय प्रेम- पूर्वक समझाती है। बह उसे मरती या डराती नहीं है | 📌 परिणाम : बच्चा उस मां की बात तुरंत मानता है और घर में शांति बनी रहती है। यह प्रेम और धैर्य से किया गया काम है, जिससे सुख और प्रेम बढ़ते हैं। नोट - अगर बच्चा प्यार से आपकी बात नहीं सुनता है तो आपको सख्ती भी दिखानी होगी | ✅ उदाहरण 2: दुकानदार की ईमानदारी 🛍️ एक दुकानदार ग्राहक को हमेशा सही दाम और सही सामान देता है। उसका मन साफ़ है – वह सिर्फ मुनाफे के लिए नहीं, सेवा के भाव से काम करता है। बह लोगो को...